गुरुवार, 22 अक्टूबर 2009

अपराधी

*
बिगाड़ना बहुत आसान है -
उसके लिये , जो बना नहीं सकता !
पशुबल सबसे प्रबल है , कि विवेक से नाता नहीं रखता ,!
जुनून जो कर ड़ाले , भविष्य पछताता है जीवन भर !
पर यह देख कर भी जो तटस्थ बना रहे, सबसे बड़ा अपराधी है !
इस धरती के स्वर्ग ,
दुख तो यह है कि तुझे दग़ा दिया अपनो ने !
तेरी ही बेटियों का रास्ता बन्द कर ,
जीवन भर को वञ्चित कर दिया तेरी नेह भरी गोद से !
लुटे-पिटे ,वञ्चित तेरे पुत्र ,दर-दर ठोकरें खाते भटक रहे हैं !
इन द्विधाग्रस्त लोगों ने ,अपनो को निकाल,
पराई घुस-पैठ का रास्ता साफ़ कर दिया !
*
माँ के जवान बेटों ने अपने प्राणों का मोल दे
जो जीता था ,ये दब्बू ,स्वार्थी ,कृतघ्न प्राणी ,
थाली मे परोस उन्हीं हत्यारों को पेश कर आये -
कि लो यह खून फ़ालतू है , बहता रहे क्या फ़र्क पड़ता है ?
सब चौपट कर दिया !
माँ की छाती मे घूँसा मार ,एक स्थायी दर्द दे दिया,
एक रिसता घाव जो हमेशा टीसता रहेगा !
अगली पीढ़ियाँ क्या माफ़ कर सकेंगी कभी ?
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