सोमवार, 27 दिसंबर 2010

बीतते बरस लो नमन !

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बीतते बरस लो नमन !

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जुड़ गया एक अध्याय और ,

गिनती आगे बढ़ गई ज़रा ,

जो शेष रहा था कच्चापन ,

परिपक्व कर गए तपा-तपा .

आभार तुम्हारा बरस ,

कि

तोड़े मन के सारे भरम !

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फिर से दोहरा लें नए पाठ,

दो कदम बिदा के चलें साथ .

बढ़ महाकाल के क्रम में लो स्थान ,

रहे मंगलमय यह प्रस्थान !

चक्र घूमेगा कर निष्क्रम ,

नये बन करना शुभागमन !

अभी लो नमन !

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- प्रतिभा.