नन्हा सा बच्चा ,
सब देखता है ,सुनता है ,
बोलता कुछ नहीं !
हमारे सारे क्रिया -कलाप ,
देखता रहता है ध्यान से ,
दृष्टि बड़ी गहरी, पहुँच जाती है तल तक ,
हम जो नहीं समझते ग्रहण कर लेता है !
पूजा के उपकरण सजाए गए ,देवता की प्रतिष्ठा हुई ,
धूप -दीप-नैवेद्य ,फूल, आरती, स्तुति !
वह मगन मन देखता रहा !
दोनो नन्हे-नन्हे हाथ जोड़कर प्रणाम करवाया ,
"जै करो ,बेटा !"
अभिभूत था बच्चा !
अब तो राहों मे चौबारों मे ,
दूकानो मे ,बाज़ारों मे ,
जहाँ भी सौन्दर्य और आनन्द पाता है ,
तुरंत दोनो हाथ जोड़कर "जै" कर लेता है ।
बुधवार, 28 अक्टूबर 2009
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