*
बीतते बरस लो नमन !
*
जुड़ गया एक अध्याय और ,
गिनती आगे बढ़ गई ज़रा ,
जो शेष रहा था कच्चापन ,
परिपक्व कर गए तपा-तपा .
आभार तुम्हारा बरस ,
कि
तोड़े मन के सारे भरम !
*
फिर से दोहरा लें नए पाठ,
दो कदम बिदा के चलें साथ .
बढ़ महाकाल के क्रम में लो स्थान ,
रहे मंगलमय यह प्रस्थान !
चक्र घूमेगा कर निष्क्रम ,
नये बन करना शुभागमन !
अभी लो नमन !
*
- प्रतिभा.
बीतते बरस लो नमन !
*
जुड़ गया एक अध्याय और ,
गिनती आगे बढ़ गई ज़रा ,
जो शेष रहा था कच्चापन ,
परिपक्व कर गए तपा-तपा .
आभार तुम्हारा बरस ,
कि
तोड़े मन के सारे भरम !
*
फिर से दोहरा लें नए पाठ,
दो कदम बिदा के चलें साथ .
बढ़ महाकाल के क्रम में लो स्थान ,
रहे मंगलमय यह प्रस्थान !
चक्र घूमेगा कर निष्क्रम ,
नये बन करना शुभागमन !
अभी लो नमन !
*
- प्रतिभा.
नमन!
जवाब देंहटाएंबरस को जो बीत गया.
नमन!
आपकी लेखनी को जी गतिमान है...
वीणा की धुन है इस छंद में.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर पंक्तियां हैं प्रतिभा जी
जवाब देंहटाएंमेरा नया ठिकाना
बीते बरस को नमन ...बहुत सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रतिभा जी | लाजवाब भावपूर्ण प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
प्रभावपूर्ण
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