मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

केलिफ़ोर्निया का राज-पुष्प

वन घासों के बीच
झिलमिलाते इतने दीप !
*
इस निर्जन वन-खंडिका में
संध्याकाश के नीचे
कौन धर गया ?
*
क्रीक के दोनों ओर ,
ढालों पर, निचाइयों में
और हरी-भरी ऊँचाइयों पर भी .
सघन श्यामलता में दीप्त होते
चंचल हवा से अठखेलियाँ करते
कितने -कितने दीप !
*
सुनहरी लौ के प्रतिबिंब
तल की जल-धारा में बहते उतराते
सीढ़ियों पर बिखर-बिखर
लहरों के साथ बहते चले जा रहे
इस विजन में फूले हैं अनगिनती
सुनहरे पॉपी ,
उजास बिखेरते इस एकान्त साँझ में !
*

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें